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Tuesday 26 January 2016

युग ऋषि के सन्देश (Message of Yugrishi to Youths)


Image result for युवासम्पूर्ण क्रांति की संजीवनी युवा वर्ग

Image result for yugrishi “किसी एक अंग में फोड़ा हो तो उसे थोडा सा चीरकर मवाद निकला जा सकता है , पर जब पूरा शरीर मवाद से भर गया हो तो सम्पूर्ण कायाकल्प के अचूक विधान तलाशने पड़ेंगे ! देश की जो दशा आज है , उससे छोटी – मोती क्रांतियो से काम चलने वाला नहीं है ! इसके लिए तो संपूर्ण क्रांति की संजीवनी चाहिए ! यह महा साहस तो देश की युवा पीढ़ी ही कर सकती है ! युवा पीढ़ी से हमें बहुत आशा है ! इन्हें लेकर हमने अनेक सपने बुने है ! बड़े गर्व और विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि राष्ट्र की युवा चेतना यदि चेत गई तो भारत माता  यशस्विनी बनेगी ! जब हम युवा पीढ़ी की सामर्थ्य पर यकीन  करते हुए भविष्य को निहारते है , हमारे मुख पर ख़ुशी छा जाती है ! भारत का भविष्य उज्जवल है , परन्तु वर्तमान की दुरावस्था हमें दारुण दुःख देती  है !”
-      अखंड ज्योति सितम्बर २००६ , पृष्ट-६४

युवाओ अपने को पहचानो

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“ नौजवानों  ! याद रखो , जिस दिन तुम्हे अपने हाथ , पैर और दिल पर भरोसा हो जायेगा , उशी दिन तुम्हारी अंतरात्मा कहेगी – बाधाओं को कुचलकर तू अकेला चल , अकेला ! सफलता का शीतल आँचल तेरे माथे का पसीना पोछने के लिए दूर हवा में फहरा रहा है !
   जिन व्यक्तियों पर तुमने आशा के विशाल महल बना रखे है , वे कल्पना के व्योम में बिहार करने के सामान अस्थिर , सारहीन , खोखले हैं! अपनी आशा को दूसरों में संश्लिष्ट कर देना स्वयं अपनी मोलिकता का ह्रास कर अपने साहस को पंगु कर देना है ! जो व्यक्ति दूसरो की सहायता पर जीवन यात्रा करता है , वह शीघ्र  अकेला रह जाता है ! अकेला रह जाने पर उसे अपनी मुर्खता का ज्ञान होता है !”

-    अखण्ड ज्योति फरवरी १९५३, पृष्ठ – १४-१५