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Friday, 5 February 2016

गजल

फुटाे नहीं जल्दी जुडो दोस्त |
बिगड़ो नही जल्दी बनो दोस्त ||

आतें हैं यहाँ काटें रास्तों में |
अन्धकार तमसे मुड़ो दोस्त ||

बोल रहा है तुम्हारा हृदय |
आवाज मृदुमय सुनो दोस्त ||

बिखरो भटको मत कभी |
रहो सचेतन भाब गुनों दोस्त ||

आज तुम काँटाे मे दौड रहे हो |
असली विवेकको चुनो दोस्त ||

बनना बिगड़ना तुम्हारा खेल है |
मनको हृदय मे जल्दि बुनो दोस्त ||

जागो तमसे उठो पह्चानो |
देखो अपने आपको उठो दोस्त ||

योगी बालक
देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार

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